Friday 28 April 2017

उत्तम गुण

श्रोतीं व्हावे समाधान। आता सांगतो उत्तम गुण॥ जेणे करिता बाणे खुण। सर्वज्ञपणाची॥१॥
वाट पुसल्याविण जाउ नये। फळ ओळखल्याविण खाऊ नये॥ पडिली वस्तु घेऊ नये। येकायेकी॥२॥
विचारेविण बोलो नये। विवंचनेविण चालो नये॥ मर्यादेविण हालो नये। काही येक॥३॥
प्रीतीविण रुसो नये। चोरास वोळखी पुसो नये॥ रात्री पंथ क्रमु नये। येकायेकी॥४॥
जनी आर्जव तोडु नये। पापद्रव्य जोडू नये॥ पुण्यमार्ग सोडू नये। कदाकाळी॥५॥
वक्तयास खोदु नये। ऐक्यतेशी फोडू नये॥ विद्या-अभ्यास सोडू नये। काही केल्या॥६॥
तोंडाळासी भांडो नये। वाचाळासी तंडो नये॥ संतसंग खंडु नये। अंतर्यामी॥७॥
अति क्रोध करु नये। जिवलगांस खेदु नये॥ मनी वीट मानु नये। शिकवणेचा॥८॥
क्षणाक्षणा रुसो नये। लटिका पुरुषार्थ बोलो नये॥ केल्याविण सांगो नये। आपुला पराक्रमु॥९॥
आळसे सुख मानू नये। चाहाडी मनास आणू नये॥ शोधल्याविण करू नये। कार्य काही॥१०॥
सुखा आंग देऊ नये। प्रेत्न पुरुषे सांडू नये॥ कष्ट करि त्रासो नये। निरंतर॥११॥
कोणाचा उपकार घेउ नये। घेतला तरी राखो नये॥ परपीडा करु नये। विश्वासघात॥१२॥
शोच्येविण असो नये। मळिण वस्त्र नेसो नये॥ जाणारास पसो नये। कोठे जातोस म्हणऊनी॥१३॥
सत्यमार्ग सांडू नये। असत्य पंथे जाउ नये॥ कदा अभिमान घेउ नये। असत्याचा॥१४॥
अपकीर्ती ते सांडावी। सत्कीर्ती वाढवावी॥ विवेके दृढ धरावी। वाट सत्याची॥१५॥

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